Motivation : बच्चों को इतना कबिल बनाना चाहिए कि वह अपनी शादी खुद कर सकें।
विषय (Subject)
पिता को बेटी का दहेज और बहू के चढ़ाव (बहु की गोद भराई/ चढ़ाव/ ओली भनने का – गहना), अर्थात बच्चों की शादी के लिए पैसे जोड़ने के स्थान पर अपना वर्तमान और बच्चों का भविष्य (करियर) बनाने में ही अपना धन खर्च करना चाहिए। अपने बच्चों को इतना कबिल बनाना चाहिए कि वह अपनी शादी खुद कर सकें। बेटी के दहेज और बहू के चढ़ाव पर पैसे बर्बाद न करें! बच्चों का भविष्य बनाएं।
इस लेख में बात करेंगे उस पुराने रिवाज़ के बारे में जहाँ माता-पिता बेटी के दहेज और बहू के चढ़ाव के लिए पैसे जोड़ते हैं। सुझाव देंगे कि माता-पिता को इस सोच से बाहर निकलकर अपने बच्चों के भविष्य और करियर में निवेश करना चाहिए, ताकि बच्चे खुद अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभा सकें।
हम एक ऐसी सामाजिक परंपरा के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो शायद आज के ज़माने में प्रासंगिक नहीं है। बात है बेटी के दहेज और बहू के चढ़ाव (या गोद भराई) की।
बच्चों को आत्मनिर्भर क्यों बनाएँ (Why Make Children Self-Reliant?)
1. पुरानी सोच से बाहर निकलें
पहले समय में माता-पिता अपनी बेटियों की शादी के लिए दहेज के नाम पर पैसे जोड़ते थे और बहू के स्वागत के लिए चढ़ाव या गोद भराई के लिए गहने और उपहार तैयार करते थे। लेकिन दोस्तों, आज के जमाने में यह सोच पुरानी हो चुकी है। अब समय आ गया है कि हम इस परंपरा से आगे बढ़ें।
उदाहरण:कई परिवार आज भी अपनी बेटियों की शादी के लिए दहेज के रूप में लाखों रुपए बचाते हैं। वही पैसे अगर उनकी शिक्षा या करियर में लगाए जाएं, तो न सिर्फ बेटियां आत्मनिर्भर बनेंगी, बल्कि वे अपनी शादी के खर्चे खुद उठाने में सक्षम होंगी।
2. शादी के लिए नहीं, भविष्य के लिए पैसे जोड़ें
अब सोचिए, अगर आप अपनी सारी जमा पूंजी सिर्फ बेटी की शादी या बहू के चढ़ाव में खर्च कर देंगे, तो इसका क्या परिणाम होगा? आप अपनी मेहनत की कमाई को एक दिन के समारोह में खर्च कर देंगे, और बच्चों का भविष्य अनिश्चित बना रहेगा।
उदाहरण:मान लीजिए आप अपनी बेटी की शादी के लिए 10 लाख रुपये जोड़ रहे हैं। अब सोचिए, अगर यही पैसे आप उसकी शिक्षा या किसी व्यवसाय में निवेश करें, तो यह न सिर्फ उसकी मदद करेगा बल्कि उसका भविष्य भी उज्जवल बनेगा। वही पैसा उसकी जिंदगी को एक स्थायी दिशा दे सकता है।
3. बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं
इससे भी जरूरी बात ये है कि आपको अपने बच्चों को इस लायक बनाना चाहिए कि वे अपनी शादी का खर्च खुद उठा सकें।
उदाहरण:हम देखते हैं कि कई बार माता-पिता अपनी सारी जमा पूंजी शादी के खर्च में लगा देते हैं और बाद में उन्हें अपने बुढ़ापे के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अगर आप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और कौशल देंगे, तो वे खुद अपनी शादी और बाकी ज़रूरतों का इंतज़ाम कर सकते हैं।
4. आर्थिक रूप से सशक्त परिवार
अब यह मत सोचिए कि शादी के समय समाज या रिश्तेदार क्या कहेंगे। अगर आपका बेटा या बेटी खुद अपनी शादी का खर्च उठा सके, तो समाज भी उसकी काबिलियत को सराहेगा।
उदाहरण:कई ऐसे उदाहरण मिलेंगे जहां बेटियों ने खुद अपनी शादी के खर्चे उठाए हैं, क्योंकि उनके माता-पिता ने उनकी शिक्षा और करियर पर ध्यान दिया। ऐसे परिवार ना सिर्फ समाज में आदर्श बनते हैं, बल्कि दूसरों के लिए एक प्रेरणा भी होते हैं।
5. लंबी अवधि की सोच अपनाएं
हमारे समाज में अक्सर शादी के एक दिन को बहुत बड़ा बना दिया जाता है। लेकिन, हमें समझना चाहिए कि जीवन सिर्फ एक दिन की बात नहीं है। यह एक लंबा सफर है, जिसमें आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता सबसे ज्यादा मायने रखती हैं।
उदाहरण:आपका बेटा या बेटी अगर अपने पैरों पर खड़ा है, तो वह अपने जीवन के हर पड़ाव पर आत्मनिर्भर रहेगा, चाहे वो शादी हो या कोई और बड़ी ज़िम्मेदारी। इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता उन्हें सही दिशा में ले जाएं।
6. परंपराओं का सम्मान लेकिन आधुनिक दृष्टिकोण
हमारे समाज में परंपराओं का एक महत्वपूर्ण स्थान है, और इन्हें पूरी तरह नकारना भी ठीक नहीं है। लेकिन हमें अपनी परंपराओं में आधुनिकता का समावेश करना चाहिए।
उदाहरण:दहेज और चढ़ाव जैसी परंपराओं को पूरी तरह से हटाने की बजाय, हम इन्हें ऐसे मोड़ सकते हैं कि वे बच्चों के करियर और भविष्य के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हों।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज का संदेश बहुत ही सरल है—बेटी के दहेज या बहू के चढ़ाव के लिए पैसे बचाने के बजाय, उन्हें इतना सक्षम बनाइए कि वे अपनी जिंदगी के बड़े फैसले खुद ले सकें।
आपकी मेहनत की कमाई एक दिन के समारोह में खर्च होने से बेहतर है कि वह आपके बच्चों के भविष्य को संवारने में लगे।
आखिरी बात – समाज के दबाव से बाहर आकर, अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना ही असली जिम्मेदारी है। आज अगर आप उनके करियर में निवेश करेंगे, तो कल वे खुद अपने सारे खर्चे उठाने में सक्षम होंगे। धन्यवाद!
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