Motivation : बॉबी राज एक बच्चा, बच्चे से लेकर बूढ़े के लिए प्रेरणा | Bobby Raj Is A Child, An Inspiration For Everyone From Kids To Adults
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यह तो हम अक्सर सुनते हैं कि सफलता हांसिल करने की उम्र नहीं होती है, किसी भी उम्र में प्रयास कीजिए, मेहनत कीजिए आपको सफलता जरूर मिलती हैं। अर्थात ज़िन्दगी कभी भी कहीं भी शुरू की जा सकती है, लेकिन ऐसा कम ही देखा जाता है कि सफलता समय से पहले मिल जाए। या यह कहें कि उम्र से पहले मिल जाए, हम बात कर रहे हैं, ऐसे ही एक बच्चे की जिसका नाम बॉबी राज है।
बॉबी राज ने आठ साल की उम्र में वह सफलता हासिल कर ली है, जिसके लिए बहुत लोग पुरी ज़िन्दगी मेहनत करते रहते हैं।
बॉबी राज की कहानी (The Story of Bobby Raj)
बाबी राज का कहना है कि हमें हमेशा बेहतर से बेहतर के लिए काम करते रहना चाहिए। कभी रूकना नहीं चाहिए, जॉश टॉक में दिए एक इन्टरव्यू में उन्होंने कहा, कभी किसी को घमंड नहीं करना चाहिए, ताकि वह लगातार सफल होता रहे।
बॉबी राज के घर में चार लोग हैं, वे आठ साल की आयु में दसवी कक्षा के गणित प्रश्न को हल कर लेते हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, उनके पिता पर कुछ कर्ज़ था जिसे चुकाने के लिए उनके पिता ने अपना एक खेत बेच दिया।
वे पटना जिले के नगमा गाँव में आकर किराए से रहने लगे। बॉबी राज जब तीन साल के थे, उनका स्कूल में दाखिला करवाया गया। बॉबी राज उस स्कूल में एक हफ्ते से ज्यादा नहीं जा पाए, वे बहुत रोते थे जिस कारण उनके पिता ने उस स्कूल से नाम कटा दिया।
जब वे चार साल के हुए तो उनके पिता ने 2018 में दो कमरे का मकान खरीद लिया। उनके पिता ने बॉबी पब्लिक स्कूल खोला, बॉबी राज तब से लेकर आज तक उसी स्कूल में पढ़ते हैं। इसके बाद लॉकडाउन हो गया परिणाम स्वरूप बॉबी राज के पिता का करोबार ठप्प हो गया, लेकिन यह बॉबी राज के लिए बेहतर साबित हुआ। पहले उनके पिता के पास बॉबी राज को पढ़ाने का समय नहीं था, लेकिन लॉकडाउन लगते ही उन्होंने अपने बेटे को घर पर लगातार पढ़ाना शुरू कर दिया। उनके पिता उन्हें पढ़ाने के लिए आस-पास के और बच्चों को भी बुलाकर पढ़ाने लगे। जिसके लिए उनके बॉबी राज के दोस्त उन्हें ताना भी मारते थे।
इसी क्रम में बॉबी राज के मन में इच्छा जागी कि उनका फोटो अखबार में आना चाहिए, जिसके लिए उनके पिता ने असफल प्रयास भी किया, लेकिन उसके बाद बॉबी राज ने बहुत मेहनत की। उनका अखबार मे आने का सपना सच हो गया।
उन्होंने अपने पिता से बेसिक मैथ सीखा। उसके बाद अब वे दसवीं तक के मैथ अराम से पढ़ा लेते हैं। उनका कहना है, कि उन्होंने मैथ का बहुत अभ्यास किया, जिसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों को पढ़ाना शुरू किया। उनका कहना है, इससे उनका कॉपी का खर्चा बच जाता था, और दिन प्रतिदिन गणित अच्छी होती गई।
बॉबी राज का एक यूट्यूब चैनल भी है, जिसमें वर्तमान में – 55.5K subscribers हैं। उनका कहना है- जो लोग उनसे ऑफलाइन नहीं पढ़ पाते हैं, वह यूट्यूब के माध्यम से पढ़ सकते हैं। जहाँ उन्होंने दसवीं के छात्रों को भी पढ़ाया है।
जैसा कि वे कहते हैं, हमारे और बेहतर के लिए मेहनत करनी चाहिए तो वे अपने बारे में भी कहते हैं- मैं अभी सफर में ही हूँ। अभी मुझे मंज़िल नहीं मिली है, उनका कहना है- वे वैज्ञानिक बनना चाहते हैं। जिसके ले वे दिन-रात मेहनत करते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
बॉबी राज की कहानी बच्चों से लेकर बड़ो तक सभी के लिए प्रेरणा है। इंसान जब चाहे, जहाँ चाहे अपनी परिस्थिति और क्षमता के अनुसार मेहनत कर सकता है, और सफलता हासिल कर सकता है। जब तक ज़िन्दगी है, तब तक किसी भी काम के लिए कोई देर नहीं होता है।
हाँ यह जरूर है कि आपने आज किसी लक्ष्य के बारे में सोचा लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए मेहनत आज से नहीं बल्कि कुछ सालों बाद करेंगे तो ज़रूर आप देर करेंगे। लेकिन किसी लक्ष्य का निर्धारण आज किया और उस दिशा में आज से ही काम करना शुरू कर दिया तो यकीनन कोई देर नहीं हुई है।
बॉबी राज का जॉश टॉक में दिया एक इन्टरव्यू-
बॉबी राज का अपना चैनल, जहाँ वे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाते हैं-
S.K foundation delhi https://www.youtube.com/@bobyrajofficial3180
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