शहद की अद्भुत शक्ति (Benefits of Honey) मधु खाने के फायदे जानें

शहद कैसें बनता है?
मधु या शहद एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार होता है। मधु शर्कराओं एवं अन्य यौगिकों का मिश्रण होता है। मधु के कार्बोहाईड्रेट में माल्टोज़, सकरोज़ एवं अन्य जटिल कार्बोहाईड्रेट होते हैं। थोड़े विटामिन एवं खनिज भी होते हैं। मधु में अति लघु मात्रा में विभिन्न अन्य यौगिक भी होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट्स का कार्य करते हैं, साथ ही क्राइसिन, पाइनोबैंकसिन, विटामिन सी, कैटालेज़, एवं पाइनोसेंब्रिन भी होते हैं। शहद एक प्राकृतिक स्वास्थ्यवर्धक आहार है जिसे त्वचा को सुंदर बनाने और मोटापा कम करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
शहद में जो मीठापन होता है वो मुख्यतः ग्लूकोज़ और एकलशर्करा फ्रक्टोज के कारण होता है। शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। शहद में ग्लूकोज व अन्य शर्कराएं तथा विटामिन, खनिज और अमीनो अम्ल भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और उतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं।
दवाई के रूप में शहद का उपयोग (Use of Honey as Medicine)
आयुर्वेद में वैकल्पिक उपचार के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है। शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देता है और शीघ्र उसकी भरपाई भी करता है। परिणाम स्वरूप घाव के हानिकारक जीवाणु भी मर जाते हैं।
शहद के प्रकार (Types of Honey)
शहद कई प्रकार के होते हैं। शहद कैसा होगा यह मधुमक्खियों द्वारा मधुरस एकत्रित किये जाने वाले प्रमुख स्रोतों पर आधारित होता है। उदाहरण के लिए:
अल्फा-अल्फा मधु
बरसीम मधु
छिछड़ी या शैन मधु
लीची मधु आदि।
इसके अलावा शहद के संसाधन और शोधन की प्रक्रिया पर भी शहद का स्वरूप आधारित है। मधुमक्खियों से शहद अनेक विधियों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
शहद प्राप्त करने की विधियाँ (Methods of Obtaining Honey)
1) निष्कासित मधु
निष्कासित मधु को छाना हुआ शहद भी कहते हैं। यह मधु निष्कासन मशीन द्वारा निकाला जाता है तथा शहद का शुद्धतम प्रकार होता है। यह मौनगृहों से पाली गई मधुमक्खियों जैसे एपिस मैलीफरा और एपिस सिराना से प्राप्त होता है। निष्कासित मधु दो प्रकार का हो सकता है – तरल मधु व रवेदार मधु।
2) निचोड़कर प्राप्त शहद
यह शहद मधुमक्खियों को निर्दयी ढंग से मारने के बाद प्राप्त किया जाता है क्योंकि शहद प्राप्त करने के लिए उनके छत्ते को निचोड़ा जाता है। निचोड़ने से प्राप्त शहद न केवल अशुद्ध होता है परन्तु जल्दी ही खराब भी हो जाता है।
3) कोष्ठ मधु या शहद
कोष्ठ या कॉम्ब मधु छत्तों के कोष्ठों में होता है जहां पर यह संग्रह किया जाता है। कोष्ठ मधु कई प्रकार का हो सकता है, जैसे – 1) खण्ड कौम्ब मधु 2) व्यक्तिगत खम्ड कौम्ब मधु 3) अम्बार कौम्ब मधु 4) काट कौम्ब मधु 5) चंक मधु
शहद का भौतिक स्वरूप व सुगन्ध (Physical Appearance and Aroma of Honey)
1) आद्रता बही गुण – शहद आर्द्र होता है तथा हवा से नमी सोख लेता है। जिन क्षेत्रों में बहुत अधिक नमी होती है वहां मधु के खराब होने की अधिक संभावना होती है।
2) गाढ़ापन – शहद गाढ़ा द्रव्य होता है तथा गाढ़ेपन का माप इसके प्रवाह को दर्शाता है। गर्म करने से इसका गाढ़ापन कम हो जाता है।
3) सुगन्ध और रंग – मधु का रंग तथा इसकी गन्ध पुष्पन स्रोत पर निर्भर करती है। अर्थात मधुमखियाँ जिस प्रकार के फूलो का उपयोग करेंगी शहद की महक व स्वरूप उन्हीं फूलो पर निर्भर रहेगा। भिन्न फूलों से प्राप्त मधुरस का रंग तथा गन्ध भिन्न होती है। कपास पर आधारित शहद सफेद होता है। सफेदा पर आधारित शहद सफेद होता है। रबड़, सरसों, लीची पर आधारित शहद का रंग हल्का पीला होता है। जामुन पर आधारित शहद अम्बर (तृणमणि) होता है। शीशम पर आधारित शहद गहरा अम्बर होता है।
वर्तमान में शहद की उपयोगिता (Present Use of Honey)
शहद के मुख्य गुण तथा उपयोग
शहद का सेवन करने के अनेक फायदे हैं। जैसे – शरीर में ऊर्जा बढ़ाना, त्वचा चमकाना, वजन घटाना, दवाई के रूप में प्रयोग करना आदि। शहद के इन्हीं फ़ायदों के चलते आज इसके व्यपार में तेजी से बढ़ोतरी पाई जाती है। वर्तमान में विभिन्न कंपनियों के शहद बज़ार में उपलब्ध हैं, जिनमें डाबर, हिमालया, पतंजलि और खादी के नाम शामिल हैं।