Study Material : मौलिक अधिकार व मौलिक अधिकारों की उपयोगिता | Fundamental Rights and Utility of Fundamental Rights

Study Material : Political Science

मौलिक अधिकार क्या है? (What is Fundamental Rights?)

मौलिक अधिकार एक मौलिक मानव अधिकार हैं, जो हर मनुष्य को जन्मजात रूप से स्वतंत्रता, समानता और अन्य अधिकारों की गारंटी देते हैं। मौलिक अधिकार एक बुनियादी मानव अधिकार हैं, जो उनकी मौलिक मानव अधिकारों का संरक्षण करते हैं। ये अधिकार शांति, स्वतंत्रता, न्याय, समानता और बुनियादी मानवीय दिग्निता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं। मौलिक अधिकारों में समानता, स्वतंत्रता, वाद-विवाद, स्वतंत्र विचार, संसदीय लोकतंत्र और व्यापक विकास जैसी मुख्य विषय होते हैं।

भारत में मौलिक अधिकार कैसे लागू हुआ (How Did Fundamental Rights Come Into Force in India?)

भारत में मौलिक अधिकार संविधान द्वारा लागू किया गया है। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था, जिसमें मौलिक अधिकारों को सम्मिलित किया गया था। संविधान के भाग 3 (अनुच्छेद 12 से 35)  में मौलिक अधिकारों को विस्तार से वर्णित किया गया है, जो हर भारतीय नागरिक को स्वतंत्रता, समानता और अधिकारों की गारंटी देते हैं। इन मौलिक अधिकारों में समानता, स्वतंत्रता, वाद-विवाद, स्वतंत्र विचार, संसदीय लोकतंत्र और व्यापक विकास जैसी मुख्य विषय होते हैं।

मौलिक अधिकार कौन-कौन से अधिकार होते हैं?  (What are the Undamental rights?)       

मौलिक अधिकार भारतीय संविधान में विस्तार से वर्णित हैं और इसमें निम्नलिखित अधिकार शामिल हैं-

स्वतंत्रता का अधिकार – स्वतंत्रता का अधिकार व्यक्ति को अपने जीवन, स्वास्थ्य, स्वतंत्र विचार, समानता और धर्म के अधिकार का अधिकार देते हैं।

समानता के अधिकार – समानता का अधिकार व्यक्ति को जन्म, जाति, लिंग, धर्म, क्षेत्र, विचार और आय के आधार पर समान अधिकार और विकास के अधिकार का अधिकार देते हैं।

वाद-विवाद का अधिकार – वाद-विवाद का अधिकार व्यक्ति को विचार, व्यंग्य और स्वतंत्रता के अधिकार का अधिकार देते हैं।

संसदीय लोकतंत्र के अधिकार – संसदीय लोकतंत्र का अधिकार व्यक्ति को वोट देने, नेता चुनने और राजनीतिक विषयों पर अपनी राय रखने का अधिकार देता हैं।

संरक्षण का अधिकार – संरक्षण का अधिकार व्यक्ति को न्याय की गारंटी देता है। जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा, बेरोजगारी, आर्थिक असुरक्षा से बचाने का अधिकार देता हैं।

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार – धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार व्यक्ति को धर्म के आधार पर अपने विश्वासों, आदतों, धर्म के प्रचार और धर्मानुयायियों के साथ धार्मिक अभिव्यक्ति का अधिकार देता हैं।

संचार का अधिकार – संचार का अधिकार व्यक्ति को भाषा, भाषण, लेखन, संगीत, कला और साहित्य के माध्यम से स्वतंत्रता का अधिकार अर्थात विचारों के स्वतंत्र वितरण का अधिकार देता हैं।

जीवन का अधिकार ­- जीवन का अधिकार व्यक्ति को उसकी जीवन की सुरक्षा का अधिकार देता हैं।

शिक्षा का अधिकार – शिक्षा का अधिकार व्यक्ति को शिक्षा लेने का अधिकार देता हैं।

प्रत्येक मौलिक अधिकार को संविधान द्वारा लागू किया गया है, और यह सभी भारतीय नागरिकों व उनके जीवन में स्वतंत्रता और इंसानियत के मूलभूत अधिकारों में शामिल हैं।

क्या मौलिक अधिकारों का हनन किया जा सकता है? (Can Fundamental Rights be Violated?)

नहीं, मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है। मौलिक अधिकार व्यक्ति के मूलभूत अधिकार होते हैं, जो उन्हें जीवन के साथ-साथ स्वतंत्रता का अनुभव करने की सुनिश्चित करते हैं। संविधान द्वारा इन अधिकारों की सुरक्षा होती है, कोई भी सरकार या शासक इन अधिकारों का हनन नहीं कर सकता/सकती है।

इसके अलावा, अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारत में अधिकारों की संरक्षा अधिनियम (Protection of Human Rights Act) 1993 के तहत एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) है, जो अधिकारों की रक्षा करता है। यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वह अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है।

क्या मौलिक अधिकार मूलभूत अधिकार हैं? (Are Fundamental Rights Fundamental Rights?)

हाँ, मौलिक अधिकार मूलभूत अधिकार होते हैं। मौलिक अधिकार व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, और मानव गरिमा के मूलभूत अधिकार हैं। ये अधिकार अस्तित्व में रहने के लिए आवश्यक होते हैं, जो नगरिकों को स्वस्थ और समान जीवन जीने की अनुमति देते हैं।


By Sunaina

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