Study Material: NCERT Class – 7 | समानता (Equality) in Hindi

Study Material Chapter – 1 समकालीन और राजनितिक जीवन – 2 (राजनितिक विज्ञान) | Contemporary and Political Life – 2 (Political Science)

भारतीय लोकतंत्र में समानता (Equality in Indian Democracy)

भारत एक महान राष्ट्र है जिसे विविधता और विरासत के बहुसंख्यक मानवीय संसाधनों से परिपूर्ण किया गया है। भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण और आदिकालिक भूमिका विचारशीलता और समानता में है। भारतीय लोकतंत्र में समानता का महत्वपूर्ण स्थान है जो समाज के सभी वर्गों को आपस में जोड़ता है और इसे एक ऐसे राष्ट्र के रूप में पहचान देता है जो न्यायप्रियता, स्वतंत्रता और सामरिकता की मूलभूत मान्यताओं पर आधारित है।

समानता का अर्थ (Meaning of Equality)

समानता एक सामाजिक और नैतिक मूल्य है जो सभी व्यक्तियों के लिए उचित और समानांतर हक़ और अवसर प्रदान करता है। यह एक संपूर्ण समाज में संप्रभुता और विविधता को समर्थन करने की एक अहम भूमिका निभाता है। भारतीय लोकतंत्र में समानता का मतलब है कि सभी नागरिकों को एक समान मान्यता, सुरक्षा, और अवसर मिलना चाहिए, और कोई भी व्यक्ति उनके धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक पीछे पीछे नहीं रहना चाहिए।

भारतीय संविधान और समानता का अधिकार (Indian Constitution and Right to Equality)

भारतीय संविधान में समानता एक महत्वपूर्ण मूल्य है जिसे न्यायप्रियता, स्वतंत्रता के तहत नियामित किया गया है। संविधान में विभिन्न धाराएं हैं जो सभी नागरिकों को समान अधिकारों, सुरक्षा, और अवसर प्रदान करती हैं। इसमें विभिन्न सामाजिक और आर्थिक असामानताओं का सामना करने के लिए विशेष उपाय भी शामिल हैं। संविधान में समानता का प्रतिष्ठान होने से, भारतीय समाज में अधिकार, अवसर, और स्वतंत्रता के लिए एक बड़ी संख्या में व्यक्तियों ने आपस में समरसता और समानता को बढ़ावा दिया है। भारतीय लोकतंत्र में समानता के महत्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन –

1. सामाजिक समानता

सामाजिक समानता भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसका मतलब है कि सभी व्यक्तियों को समानता के साथ सम्मानित किया जाना चाहिए, निर्धनता और विपदा से पीड़ित लोगों की मदद की जानी चाहिए, और जाति, लिंग, धर्म, और वंश के आधार पर किसी का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

2. राजनीतिक समानता

राजनीतिक समानता भारतीय लोकतंत्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मतलब है कि सभी नागरिकों को चुनावी प्रक्रिया में समान अवसर मिलना चाहिए, न्यायप्रियता के आधार पर सभी लोगों को उचित और समानांतर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, और विभाजन और जातिवाद के आधार पर किसी का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

3. आर्थिक समानता

आर्थिक समानता समाज के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह मतलब है कि सभी व्यक्तियों को समान अवसर मिलना चाहिए, न्यायप्रियता के आधार पर सभी लोगों को उचित वेतन, व्यापारिक संरचना, और समान आर्थिक स्थिति मिलनी चाहिए, और गरीबी और असामानता को कम करने के लिए सक्रिय उपाय अपनाए जाने चाहिए।

समानता के लाभ (Benefits of Equality)

समानता के माध्यम से समाज में विकास, सशक्तिकरण, और एकता की संभावनाएं बढ़ती हैं। यह समान अवसर प्रदान करता है और सभी वर्गों के लोगों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक निष्पक्षता का आनंद उठाने की अनुमति देता है। इसके साथ ही, समानता से समरसता, सद्भाव, और सामूहिक उन्नति की भावना पैदा होती है।

समानता का अधिकार और भीमराव अम्बेडकर संघर्ष (Right to Equality and Bhimrao Ambedkar Struggle)

भारतीय इतिहास में भीमराव अम्बेडकर एक महान सामाजिक नेता, संविधानविद्, और महापुरुष के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने समानता के लिए एक अदम्य संघर्ष चलाया और दलितों,  आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए।

भीमराव अम्बेडकर का संघर्ष उनकी अपनी जीवनी से ही जुड़ा है। उन्होंने अपने जीवन के सभी माध्यमों का उपयोग करके समानता के लिए लड़ाई लड़ी। जैसे-

1. दलितों के अधिकारों की लड़ाई

भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने दलितों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्थान के लिए संघर्ष किया। वह दलितों के लिए भारतीय संविधान में आरक्षण की मांग करने के लिए सशक्त प्रयास किए।

2. शिक्षा के अधिकार

भीमराव अम्बेडकर ने शिक्षा के अधिकार की महत्व को समझा और इसे दलितों और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों तक पहुंचाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को आत्मविश्वास, ज्ञान, और स्वाधीनता प्रदान करने की अपील की।

3. धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई

भीमराव अम्बेडकर ने धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार करवाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने भारतीय संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता, विचारधारा, और आपसी समझ के मूल्यों की प्रोत्साहना की।

4. समान विधान

भीमराव अम्बेडकर ने समान विधान के लिए संघर्ष किया। उन्होंने दलितों और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए न्यायपूर्ण और समान विधान की मांग की। वह भारतीय संविधान के तहत न्यायपूर्ण विधान को सुनिश्चित करने के लिए समर्पित रहे।

भीमराव अम्बेडकर का संघर्ष भारतीय समाज को समानता, न्याय, और स्वतंत्रता के मार्ग पर आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके संघर्ष ने समाज में सुधार की दिशा में बहुतेरे प्रगामी कदम उठाए। उनके संघर्ष ने समानता के मार्ग में एक नई उम्मीद और प्रगति का द्वार खोला।

अन्य राष्ट्र में लोकतंत्र के लिए संषर्ष (Struggle for Democracy in Other Countries)

भारतीय लोकतंत्र ही ऐसा है नहीं है, जहाँ असमानता का अस्तित्व है और जहाँ समानता के लिए संघर्ष जारी है। सच तो यह है कि संसार के अधिकांश लोकतंत्रीय देशों में, समानता के मुद्दे पर विशेष रूप से संघर्ष हो रहे हैं। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकन लोग, जिनके पूर्वज गुलाम थे और अफ्रीका से लाए गए थे, वे आज भी अपने जीवन को मुख्य रूप से असमान बताते हैं। जबकि 1950 के अंतिम दशक में अफ्रीका-अमेरिकनों को समान अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन हुआ था। इससे पहले अफ्रीकी-अमेरिकनों के साथ संयुक्त राज्य में बहुत असमानता का व्यवहार होता था और कानून भी उन्हें समान नहीं मानता था।

बस से यात्रा करते समय उन्हें बस में पीछे बैठना पड़ता था या जब भी कोई गोरा आदमी बैठना चाहे, उन्हें अपनी सीट से उठ जाना पड़ता था। कक्षा 7 के अध्याय एक राज़ा पार्क्स की कहानी के माध्यम से बताया है, जो इस प्रकार है-

रोज़ा पार्क्स (1913-2005) एक अफ्रीकी-अमेरिकन महिला थीं। 1 दिसंबर 1955 को दिन भर काम करके थक जाने के बाद बस में उन्होंने अपनी सीट एक गोरे व्यक्ति को देने से मना कर दिया। उस दिन उनके इंकार से अफ्रीकी-अमेरिकनों के साथ असमानता को

लेकर एक विशाल आंदोलन प्रारंभ हो गया, जो नागरिक अधिकार आंदोलन सिविल राइट्स मूवमेंटद्ध कहलाया। 1964 के नागरिक अधिकार अधिनियम ने नस्ल, धर्म और राष्टीय मूल के आधार पर भेदभाव का निषेध कर दिया।


By Sunaina

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