Study Material NCERT Class – 6 : विविधता में भेदभाव | Discrimination in Diversity

विविधता में भेदभाव | Diversity Study Material ( Class – 6 : सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन (राजनीति विज्ञान) | Social and Political Life (Political Science)

विविधता में भेदभाव क्या है? (What is discrimination in diversity?)

विविधता में भेदभाव शब्द का अर्थ है – लोगों को उनकी जाति, धर्म, लिंग, या किसी अन्य पहचान के आधार पर अलग-थलग कर दिया जाना। विविधता में भेदभाव के लिए पूर्वाग्रह ज़िम्मेदार होता है।

पूर्वाग्रह का अर्थ (meaning of prejudice)

पूर्वाग्रह का अर्थ होता है – किसी व्यक्ति या समुदाय के मन में नकारात्मक धारणा व मिथकों की स्थापना करना। यह एक मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें हम एक व्यक्ति, समुदाय या विषय के बारे में गलत सूचना को सही मानकर उसके व्यक्ति या समुदाय के प्रति नकारात्मक धारणा बना लेते हैं और इसके आधार पर निर्णय लेते हैं। पूर्वाग्रह अस्थिरता और संकट का कारण बनता है, सच्चाई और समझ को अवरुद्ध करता है। इसलिए हमें पूर्वाग्रह का करना चाहिए और वास्तविकता की ओर बढ़ना चाहिए।

जब हम पूर्वाग्रहों के मार्ग पर चलते हैं, तो हम समाज में विविधता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। इससे समाज में विभिन्न समूहों के बीच तनाव और असंतोष बढ़ता है और सहिष्णुता की कमी होती है। पूर्वाग्रहों के कारण विभाजन और विरोध बढ़ सकते हैं, जो समाज के विकास को रोक सकता है।

पूर्वाग्रह विविधता को कैसे प्रभावित करती है? (How does prejudice affect diversity?)

पूर्वाग्रह विविधता को अनेक प्रकार से प्रभावित करती है-

समाजिक विभाजन – पूर्वाग्रह विविधता के कारण समाज में विभाजन उत्पन्न हो सकता है। लोग अलग-थलग अपना समूह बनाने लगते हैं, दूसरे समुदायों से दूर भागने लगते हैं। इससे समाज में तनाव बढ़ता है।

अन्याय – पूर्वाग्रह समाज में अन्याय को बढ़ावा देता है। जब हम किसी व्यक्ति या समुदाय के बारे में गलत सूचना या धारणा रखते हैं, तो हम उसके साथ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अन्याय करते हैं। इससे उन्हें समान अवसर नहीं मिलते और उनके साथ अन्याय हो जाता है।

असंतोष – पूर्वाग्रह से उत्पन्न असंतोष समाज में बढ़ जाता है। जब हम अपने मन में विभिन्न पूर्वाग्रह रखते हैं, तो हम दूसरों के साथ सहयोग और समरसता के बजाय असंतोष और अनबन को प्राथमिकता देते हैं। परिणाम स्वरूप समाज में विवाद बढ़ने लगता है।

भारत में भेदभाव किस प्रकार देखा गया है? (How Has Discrimination Been Seen in India?)

भारत में भेदभाव कई रूपों में देखा गया है-

जातिवाद – जातिवाद भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण भेदभाव का कारण रहा है। जातिवाद के आधार पर लोगों को उनकी जाति, वर्ण, या जन्मगोत्र के आधार पर उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भेदभाव किया जाता है।

लिंग-भेदभाव – लिंग-भेदभाव भारतीय समाज में मौजूद है, जहाँ महिलाओं को पुरुषों के सामाजिक और कार्यलय में भेदभाव किया जाता है।

धार्मिक भेदभाव – भारत में धार्मिक भेदभाव भी एक मुख्य विषय है। धार्मिक धाराओं के आधार पर लोगों को उनकी धर्म से जुड़े मामलों में भेदभाव हो जाता है। यह धार्मिक समुदायों के बीच असमानता और संघर्ष को उत्पन्न कर सकता है।

भाषा और क्षेत्रीय भेदभाव – भारत में भाषा और क्षेत्रीय भेदभाव भी देखा जाता है। अलग-अलग भाषाओं और क्षेत्रों के लोगों के बीच संघर्ष और असमानता हो सकती है। इससे विभाजन और विवाद बढ़ सकते हैं।

सामाजिक आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव – भारत में आर्थिक असमानताएं आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों और समुदायों के खिलाफ भेदभाव में योगदान करती हैं। बुनियादी सेवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों तक पहुँच का अभाव भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार को स्थायी बना सकता है।

परिणाम स्वरूप यह स्पष्ट होता है कि भारत में भेदभाव एक व्यापक मुद्दा है, जिसके समाधान की शुरूआत संविधान में मौलिक अधिकारो के माध्यम से की गई थी। वर्तमान में भी सुधार की आवश्यकता है, परिणाम स्वरूप भेदभाव को दूर करने और मिटाने के लिए काम किया जाना बाकी है।

भारत में भेदभाव का मुकाबला करने के लिए अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों का अधिनियमन, सकारात्मक कार्रवाई नीतियां, समान अधिकारों और न्याय की वकालत करने वाले सामाजिक आंदोलन और जागरूकता, समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहल शामिल हैं।

भेदभाव विविधता का उदाहरण (भीमराव अम्बेडकर)

भीमराव अम्बेडकर के साथ भेदभाव संभवतः कई कारणों से हुआ। विविधता के माध्यम से होने वाली सामाजिक और मानसिक प्रथाओं के कारण उन्हें अन्यायपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा। कुछ मुख्य कारण-

जातिवाद – जातिवाद भारतीय समाज में एक प्रमुख भेदभाव का कारण रहा है। अम्बेडकर दलित समुदाय से संबंधित थे, और उनके व्यक्तित्व और विचारों को लोगों द्वारा उनकी जाति के कारण नकारा गया। उन्हें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर अन्याय का सामना करना पड़ा।

शिक्षा और उच्च जगहों से महर्षि का अलगाव – अम्बेडकर को उच्च शिक्षा उपलब्धता नहीं थी और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में अनुभवहीनता का सामना करना पड़ा। इसके कारण उन्हें उच्च स्थानों पर पहुँचने में बाधा आई और उनके विचारों को समाजीकृत किया गया।

इन सबके बाद भी भीमराव अम्बेडकर ने हार नहीं मानी, लगातार संघर्ष करते रहे, वर्तमान में उन्हें नायक के रूप में देखा जाता है।

By Sunaina

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