Parenting Tips, टीनएज उम्र में बच्‍चों का नहीं लगता घर पर मन, ऐसे में पैरेंट्स बच्‍चों को कैसे करवाएं अपने प्‍यार का एहसास

लाइफ में कोई दिन ऐसा होता है जब हमें अपने घर पर बहुत शांत और सुरक्षित महसूस होता है लेकिन वहीं किसी दिन यही सुख-चैन दूभर लगने लगता है। टीनएज बच्‍चों के साथ ऐसा खासतौर पर होता है क्‍योंकि इस उम्र में वो कई मानसिक और शारीरिक बदलावों से गुजरते हैं। घर एक ऐसी जगह है जहां हम कंफर्ट और सपोर्ट महसूस करते हैं और बाहर की दुनिया में जो कुछ भी चल रहा है, उससे लड़ने की ताकत इकट्ठा करते हैं। हालांकि, टीनएज बच्‍चों को घर पर भी बेचैनी महसूस होती है, ऐसे में पैरेंट्स को क्‍या करना चाहिए।
फोटो साभार : pexels

उन्‍हें जानने की कोशिश करें

टीनएजर बच्‍चों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यही होती है कि वो अपने पैरेंट्स से खुलकर बात नहीं कर पाते हैं और उन्‍हें ये चिंता रहती है कि वो उन्‍हें जज करेंगे और सोचेंगे कि उनका बच्‍चा कैसे विचार रखता है या उसकी लाइफ की कैसी प्रॉब्‍लम्‍स हैं।

ज्यादातर बच्‍चों को यही लगता है कि बच्‍चों के विचार बचपने से भरे और इमैच्‍योर होते हैं। हालांकि, पैरेंट्स को अपने बच्‍चे को अपने ऊपर भरोसा दिलाना चाहिए कि वो उसे जज किए बिना उसकी प्रॉब्‍लम को हल करने की कोशिश करेंगे।

बेबी मत समझें

टीनएज वो उम्र होती है, जब बच्‍चे अपनी पर्सनैलिटी और हॉबी के बारे में जानते हैं और उन्‍हें समझ आता है कि वो कौन हैं और किस चीज में उन्‍हें मजा आता है। यूनिक रहने से ही आजादी महसूस होती है। स्ट्रिक्‍ट नियमों, टाइम टेबल और पैरेंट्स की उम्‍मीदों को लेकर अक्‍सर टीनएज अपना गुस्‍सा जाहिर करते हैं और आजादी की चाहत रखते हैं। आप अपने टीनएज बच्‍चे को बेपनाह प्‍यार, सम्‍मान और सपोर्ट के साथ ट्रीट करें लेकिन उसे अपनी पहचान भी ना खोने दें।

सुरक्षित माहौल में रखें

हमेशा बच्‍चे के लिए बात करने के लिए सुरक्षित जगह रखें। उसे अपने पैरेंट्स से बात करने में हिचकिचाहट महसूस नहीं होनी चाहिए। हो सकता है कि उसकी पसंद आपसे अलग हो लेकिन ये जरूरी नहीं है कि वो गलत हो। जब हम बिना जजमेंट के अपने टीनएज बच्‍चों को स्‍वीकार करते हैं तो इससे उन्‍हें जिंदगी की परेशानियों को सुलझाना आसान लगने लगता है और उनका आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है।

जज करना बंद करें

‘टू फैट टू लाउड टू एंबिशियस’ की लेखिका देवीना कौर का कहना है कि हमें एक दूसरे से ईमानदार रहना चाहिए और अपने मन की बात शेयर करनी चाहिए। आपको खुद को हमेशा यह डर रहता है कि आपकी बात सुनकर लोग आपकी अवहेलना करेंगे या आपके प्रति गलत धारणा या उपेक्षा की जाएगी। यही चीज टीनएज भी सोचते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को कोशिश करनी चाहिए कि उनके बच्‍चे को पता चले कि आप उन्‍हें जज नहीं करेंगे।​

सहानुभूति रखें

भावनाओं को शेयर करने की प्रक्रिया को समझने की कोशिश करें। बच्‍चे सहानुभूति, दयालुता और धैर्य दिखने पर बेहतर तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं और शायद वो अपने दिल की बात अपने मां-बाप को भी बता सकें।​

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