Holi Safety Tips: आंखों की पुतली चीर देगा कांच वाला रंग डॉक्टर ने बताए 5 गंभीर नुकसान ऐसे करें बचाव | The Color of the Glass Will Rip the Pupil of the Eye, the Doctor has Told 5 Serious Disadvantages to Avoid it

रंगों का पर्व होली (Holi)

आने में बस कुछ दिन बचें हैं। झूमने, नाचने-गाने का यह पर्व हर किसी को पसंद होता और बेसिब्री से इसका इंतजार रहता है। लोग इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर बधाई देते हैं। होली पर इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आप किस तरह के रंगों का इस्तेमाल कर रहे हैं। होली पर मिलने वाले रंगों में केमिकल्स मौजूद होते हैं, जो आपके रंग में भंग डाल सकते हैं।

नॉएडा के ई-260 सेक्टर 27 स्थित ‘कपिल त्यागी आयुर्वेद क्लिनिक’ के डायरेक्टर डॉक्टर कपिल त्यागी के अनुसार, रंग खेलते समय सावधानी न बरतना एलर्जी से लेकर श्वसन संक्रमण जैसी बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकता है। होली के रंगों में विभिन्न केमिकल्स होते हैं, जो आंखों, त्वचा और यहां तक कि आंतरिक अंगों जैसे किडनी और लीवर को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

खतरनाक केमिकल्स से भरे होते हैं होली के रंग

होली के रंग मरकरी, एस्बेस्टस, सिलिका, माइका और लेड जैसे खतरनाक रसायनों से बने होते हैं जो त्वचा और आंखों के लिए जहरीले होते हैं। इन हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने से श्वसन प्रणाली और आंतरिक अंगों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।

आंखों को डैमेज कर सकते हैं होली के रंग

डॉक्टर ने बताया कि होली के रंगों में लेड (Lead) या सीसा मौजूद होता है। अगर यह गलती से आंखों में रहा गया तो रॉड फोटोरिसेप्टर की क्षमता कम हो सकती है, धुंधली दृष्टि हो सकती है, आंखों में जलन हो सकती है साथ ही मोतियाबिंद (Cataract) और ऑप्टिक न्यूरिटिस का जोखिम बढ़ सकता है। यह खतरनाक केमिकल आंखों की पुतली को डैमेज कर सकता है जिससे अंधेपन का खतरा बढ़ सकता है।

सांस से जुड़ी समस्याएं

होली के रंगों में क्रोमियम (Chromium) का इस्तेमाल किया जाता है, जो सांस की समस्या भी पैदा कर सकता है। गलती से अगर रंग मुंह में चला गया, तो इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसे रोगों का खतरा बढ़ सकता है।

किडनी-लीवर पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव

होली के रंगों में मर्करी पाया जाता है, जो आपके आंतरिक अंगों जैसे किडनी और लीवर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा इनमें मौजूद सिलिका से स्किन ड्राई हो सकती है।

स्किन इन्फेक्शन

होली के रंगों में भारी धातु, कांच के टूटे हुए टुकड़े, रसायन और कीटनाशक होते हैं। अक्सर देखा गया है कि बहुत से लोग होली के रंगों से खेलने के बाद बैक्टीरियल स्किन इन्फेक्शन, स्किन एलर्जी, रैशेष, खुजली, जलन और पित्ती की शिकायत करते हैं।

ऐसे करें बचाव

    • होली पर सिर्फ आर्गेनिक कलर्स का इस्तेमाल करें अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज कर लें या तेल लगाएं।
    • आंखों के लिए अच्छे सनस्क्रीन, धूप के चश्मे का इस्तेमाल करें और लेंस पहनने से बचें।
    • अपनी आंखों को छूने या रगड़ने से बचें क्योंकि इससे जलन या आंखों की अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
    • पूरी बाजू के कपड़े पहनें, आंखें न मलें और गुब्बारों के इस्तेमाल से बचें।
    • रंगों से खेलने के बाद रंगों को हटाने के लिए डिटर्जेंट, स्पिरिट, नेल पॉलिश रिमूवर, अल्कोहल या एसीटोन का इस्तेमाल न करें।
    • डॉक्टर द्वारा सुझाए गए साबुन का उपयोग करें, स्क्रब न करें और त्वचा को केवल मॉइस्चराइज़ करें।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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