Home » Health » मास्टर शेफ की पहली महिला जज गरिमा अरोड़ा, पत्रकारिता छोड़कर 18 घंटो तक किया काम | Garima Arora, the First Female Judge of Master Chef, Left Journalism And Worked For 18 Hours

मास्टर शेफ की पहली महिला जज गरिमा अरोड़ा, पत्रकारिता छोड़कर 18 घंटो तक किया काम | Garima Arora, the First Female Judge of Master Chef, Left Journalism And Worked For 18 Hours

भारत में आज भी कुकिंग इंडस्ट्री में महिलाएं कम ही देखने को मिलती है। भले ही वे घर में बेस्ट कुक हों, लेकिन किसी फंक्शन या इवेंट में मेल शेफ ही देखने को मिलते हैं। हालांकि अब धीरे-धीरे चीजें बदल भी रही हैं और इस इंडस्ट्री में महिलाएं भी आगे आने लगी हैं। जिसका श्रेय मास्टरशेफ इंडिया की पहली फीमेल शेफ गरिमा अरोड़ा को जाता है। जिन्होंने एक फार्मा जर्नलिस्ट से Michelin Star जीतने तक का सफर बहुत ही संघर्ष से तय किया है। ऐसा हम इसलिए कह पा रहे हैं क्योंकि रिसेन्टली नवभारत टाइम्स से एक्सक्लूजिव बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे वह ऐसा कर पाईं और महिलाओं के लिए भी उन्होंने खास मैसेज दिया। 

गरिमा आपका अवॉर्ड विनिंग रेस्टोरेंट भी है, तो आप महिलाओं को किस तरह से सपोर्ट करने वाली हैं?

मेरे रेस्ट्रोरेंट में ज्यादातर महिलाएं ही काम करती हैं। वैसे भी थाईलैंड में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं ही काम करती हैं और मुझे जेंडर से फर्क नहीं पड़ता। मैं सभी औरतों से ये जरूर कहती हूं कि आप फिनेंशियली इंडिपेंडेंट जरूर बनें। बहुत ही औरतें शादी के बाद काम नहीं करना चाहती हैं, लेकिन आप हमेशा इतना जरूर कमाओ कि अपना और अपने बच्चों का ध्यान जरूर रख सको।

गरिमा आपने पत्रकार से शेफ बनने की कैसी सोची?

मैं बहुत यंग थी जब मैंने जर्नलिज्म किया और जॉब की और फिर उसे छोडऩे का मन बनाया। मैं सिर्फ 20 साल की थी जब मैंने पत्रकारिता की थी क्योंकि मुझे वो बनना था। हालांकि मुझे पढ़ाई के दौरान ही खाना बनाने और खाने का बहुत शौक था और इसी से मैंने ये तय कर लिया था कि मुझे शेफ ही बनना है। छह महीने की जॉब के बाद मैंने अपनी रिसर्च शुरु कर दी थी। इस दौरान मुझे पता चला कि इस करियर को यंग ऐज में ही शुरु कर देना चाहिए। बहुत लोगों को लगता है कि शेफ बनना तो बहुत आसान है। ऑर्डर दो, फोटो क्लिक कराओ और हो जाता है लेकिन पीछे की बैक स्टोरी कोई नहीं जानता। कितने घंटे हमने दिए होते हैं, ये लोग नहीं जानते हैं। जैसे ही मुझे ये पता चला मैंने इस पर अपना काम शुरु कर दिया।

बावर्ची हो, हलवाई हो या शेफ हो, यहां पर ज्यादातर मेल्स ही काम करते हैं औऱ उनपर ही ट्रस्ट किया जाता है। तो इसपर आपका क्या कहना है?

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि घर के खाने को हमेशा ही बहुत वेल्यू दी जाती है। लेकिन जब बात प्रोफेशनली आती है, तो चीजें थोड़ी अलग हो जाती हैं। जैसे की नर्स ज्यादातर पुरुष नहीं औरतें होती हैं, क्योंकि हर एक प्रोफेशन का अपना स्वभाव होता है। वैसे ही शेफ का काम फिजिकली बहुत डिमांडिंग होता है। 17-18 घंटे आपको कई बार खड़े रहकर वहां काम करना होता है। अब अगर आपकी फैमिली है, तो आप इस प्रोफेशन में आने के बारे में नहीं सोच सकते। यही कारण है कि पहले महिलाओं ने इस फील्ड में बहुत ज्यादा इंटेस्ट नहीं दिखाया।

मैं भी परिवार के सपोर्ट से अपने करियर पर फोकस कर पाई

आज समाज में कई चीजें बदल गईं हैं, फैमिली की सोच चेंज हो रही है। इस वजह से अब औरतें इस फील्ड में आ रही हैं। मुझे जो सपोर्ट मेरे हस्बैंड और पैरेंट्स से मिला, ऐसे प्रोफेशन के लिए वो बहुत जरूरी है। अगर किसी की सोच बदलने की जरूरत है, तो वो औरतों के आसपास के लोगों की है। ताकि वे उन्हें सपोर्ट कर सके क्योंकि घर संभालने का काम सिर्फ एक औरत की नहीं बल्कि सभी का है।

इंडिया में खाने की जरूर तारीफ होती है लेकिन उन्हें प्रोफेशनली उतना सपोर्ट नहीं मिल पाता है। तो आप उन फीमेल्स के लिए क्या सपोर्ट देना चाहती हैं?

मेहनत कीजिए, स्मार्ट वर्क करें और उसका रिजल्ट जरूर मिलेगा। बहाने न बनाएं। वहीं पुरुष अपनी पत्नी का सपोर्ट करें और उनकी लाइफ कंट्रोल करने की कोशिश न करें। अपने घर की महिलाओं का आप साथ दें जिससे वे आगे बढ़कर कुछ कर सके।

Source link

About

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*