

बच्चे के मिजाज या स्वभाव को आप चाइल्ड टेंपरमेंट कह सकते हैं। यह हर बच्चे में अलग होता है और उसके सोशल एनवायरमेंट और अनुभवों पर रिएक्ट करने और उन्हें स्वीकार करने के तरीके को दर्शाता है। आप बच्चे के व्यवहार में देख सकते हैं कि वो अपनी सोशल लाइफ में कितना एक्टिव है और लोगों से किस तरह से बात करता है। पैरेंट्स का बिहेवियर, परिवार के नियम, सामाजिक माहौल और पैरेंटिंग स्टाइल में बदलाव बच्चे के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। बच्चे के शुरुआती सालों में पैरेंट्स के बच्चों की परवरिश के तरीके में बदलाव लाने से बच्चे के टेंपरमेंट यानि मिजाज को ठीक किया जा सकता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि वो कौन-से कारक हैं जो बच्चे के टेंपरमेंट को प्रभावित करते हैं।
जेनेटिक्स
ऐसा माना जाता है कि चाइल्ड टेंपरमेंट जेनेटिक्स से जुड़ा होता है और बच्चे में जन्म से ही मौजूद होता है। जेनेटिक कारकों का बच्चे के मिजाज पर बहुत असर पड़ता है। ऐसा हो सकता है कि बच्चे का मिजाज अपने मां-बाप दोनों या दोनों में किसी एक से मिलता हो। अब आप समझ सकते हैं कि अगर आपके बच्चे को ज्यादा गुस्सा आता है और आप दोनों में से भी कोई एक ऐसा ही है, तो वो आप पर ही गया है।
घर का माहौल
जिस माहौल में बच्चा बड़ा होता है, उसका असर उसकी रिएक्टिविटी, मोटर एक्टिविटी और आत्म-नियंत्रण पर पड़ता है। एक ही घर में पल रहे दो बच्चों का मिजाज अलग हो सकता है और इसका कारण फैमिली स्ट्रक्चर, घर का माहौल, शेयर किए जा रहे काम और बच्चे की परवरिश हो सकती है। आपके घर का माहौल कैसा है, इस पर काफी हद तक बच्चे का स्वभाव निर्भर करता है।
पैरेंटिंग स्टाइल
बच्चे की जिस तरीके से परवरिश की जाती है, उसका असर बच्चे के मिजाज पर भी पड़ता है। जैसे कि अगर किसी बच्चे को स्ट्रिक्ट पैरेंटिंग से पाला जा रहा है, तो उसे बच्चे को सोशल लाइफ में कम दिलचस्पी हो सकती है जबकि अथॉरिटेटिव पैरेंटिंग में बच्चे को सोशल लाइफ में ज्यादा एक्टिव रहने के लिए बढ़ावा मिलता है। गलत पैरेंटिंग बच्चे के दिमाग को नेगेटिव तरीके से प्रभावित कर सकती है।
क्या करें
अगर आपके बच्चे का नेगेटिव स्वभाव होता जा रहा है, तो इसके लिए कहीं ना कहीं आप जिम्मेदार हो सकते हैं। आप बच्चे के सामने अच्छे से पेश आएं और उसके लिए रोल मॉडल बनें। अच्छी पैरेंटिंग से आपका बच्चा दूसरों का सम्मान करना सीखेगा और उसके सोशल और कम्यूनिकेशन स्किल्स भी विकसित होंगे।
ऑथोरिटेरियन या बहुत ज्यादा परमिसिव पैरेंटिंग से बच्चे को हैंडल करने में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा पॉजिटव पैरेंटिंग से भी बच्चों के टेंपरमेंट को सही दिशा में लेकर जाया जा सकता है।
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