बेस्ट आँखें शायरी
बहुत से ख़्वाब देखोगे तो आँखें
तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगी
— वसीम बरेलवी
कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता
— बशीर बद्र
आँखें साक़ी की जब से देखी हैं
हम से दो घूँट पी नहीं जाती
— जलील मानिकपूरी
कभी आँखें किताब में गुम हैं
कभी गुम हैं किताब आँखों में
— मोहम्मद अल्वी
अब के बसंत आई तो आँखें उजड़ गईं
सरसों के खेत में कोई पत्ता हरा न था
— बिमल कृष्ण अश्क
आँखें खोलो ख़्वाब समेटो जागो भी
‘अल्वी’ प्यारे देखो साला दिन निकला
— मोहम्मद अल्वी
आँखें बता रही हैं कि जागे हो रात को
इन साग़रों में बू-ए-शराब-ए-विसाल है
— जलील मानिकपूरी
आओ आँखें मिला के देखते हैं
कौन कितना उदास रहता है
— राना आमिर लियाक़त
बहुत रोई हुई लगती हैं आँखें
मिरी ख़ातिर ज़रा काजल लगा लो
— लियाक़त अली आसिम
आँखें हैं मगर ख़्वाब से महरूम हैं ‘मिदहत’
तस्वीर का रिश्ता नहीं रंगों से ज़रा भी
— मिद्हत-उल-अख़्तर