बेनो मूल रूप से चेन्नई की रहने वाली हैं। जन्म के बाद ही उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। ऐसे में माता-पिता ही उनके लिए सहारा बने। पिता ल्यूक बेनो को उन जगहों पर ले जाते थे, जहां पर वह जाना चाहती थीं। वहीं, मां किताबें पढ़कर उन्हें सुनाया करती थीं। मां जब किताबें पढ़कर उन्हें सुनाया करती थीं तो वे उन्हें याद कर लेती थीं। बेनो ने स्कूलिंग लिटिल फ्लॉर कॉन्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल से और ग्रेजुएशन स्टेला मैरिस कॉलेज से किया था। वहीं, उन्होंने पीजी की पढ़ाई लॉयजा कॉलेज से की थी।
ब्रेन लिपि से पढ़कर की तैयारी
बेनो का बचपन से ही सपना था कि सिविल सेवा में जाएं। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गईं उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा को ध्यान में रखकर तैयारी भी शुरू कर दी। इसके लिए उन्होंने ब्रेन लिपि से पढ़ाई की और इंटरनेट का भी सहारा लिया। क्योंकि इंटरनेट पर जिस टॉपिक को तैयार करना चाहती थीं, उसकी ऑडियों भी उपलब्ध होती थी। यही वजह थी कि उन्हें तैयारी करने में दिक्कत नहीं होती थी।
2013-14 में हुआ था चयन
बेनो का चयन 2013-14 की सिविल सर्विसेज परीक्षा में हुआ था। उन्हें 343वीं रैंक मिली थी। हालांकि, आंखों से देख नहीं पाने की वजह से उनकी ज्वाइनिंग करीब डेढ़ साल तक नहीं हो पाई थी। लेकिन 2015 में उन्हें विदेश मंत्रालय में नियुक्ति मिल गई। इसी के साथ वह भारतीय सेवा में चयनित होने वाली पहली दृष्टिबाधित अधिकारी भी बन गई थीं। आपको बता दें कि यूपीएससी की सिविल सेवा की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में एक माना जाता है। इस परीक्षा के लिए हर वर्ष लाखों की संख्या में अभ्यर्थी आवेदन करते हैं।